भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी संसद सत्र में नया आयकर विधेयक 2025 पेश करने जा रही हैं। यह विधेयक देश की कर प्रणाली में सुधार लाने और करदाताओं के लिए अधिक सरल एवं पारदर्शी प्रावधान लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस विधेयक का उद्देश्य कर ढांचे को आधुनिक बनाना, करदाताओं को राहत प्रदान करना और कर अनुपालन को सुगम बनाना है।
नए आयकर विधेयक 2025 की मुख्य विशेषताएं
- कर स्लैब में संभावित बदलाव: सरकार कर स्लैब में संशोधन कर सकती है, जिससे मध्यम वर्ग को कर राहत मिल सके। विभिन्न आय समूहों के लिए कर दरों को तर्कसंगत बनाने पर विचार किया जा सकता है।
- डिजिटलीकरण और पारदर्शिता: नए विधेयक में डिजिटल ट्रांजैक्शन और पारदर्शी कर प्रणाली को बढ़ावा देने के उपाय किए जाएंगे, जिससे कर चोरी पर लगाम लगाई जा सके।
- करदाताओं के अधिकारों की सुरक्षा: करदाताओं के अधिकारों को सुरक्षित करने और विवाद निपटान की प्रक्रिया को सरल बनाने पर जोर दिया जाएगा। कर अधिकारियों की जवाबदेही बढ़ाने के लिए नए प्रावधानों को शामिल किया जा सकता है।
- काला धन और कर चोरी पर सख्ती: नए प्रावधानों के तहत काले धन पर निगरानी और कर चोरी पर कड़े दंड लगाए जा सकते हैं। बेनामी संपत्तियों की पहचान करने के लिए उन्नत तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जा सकता है।
- स्टार्टअप और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए रियायतें: नए स्टार्टअप और छोटे-मध्यम उद्योगों के लिए कर छूट और प्रोत्साहन की उम्मीद की जा रही है, जिससे उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा।
- ई-फाइलिंग और स्वचालित कर प्रणाली: करदाताओं के लिए ई-फाइलिंग को और अधिक सरल बनाया जाएगा, जिससे कम समय में रिटर्न दाखिल करना संभव होगा। साथ ही, कर रिफंड प्रक्रिया को तेज करने के लिए नए उपाय अपनाए जाएंगे।
- नए निवेश प्रोत्साहन: विदेशी और घरेलू निवेशकों के लिए कर संबंधी नई रियायतें दी जा सकती हैं, जिससे देश में पूंजी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा।
विधेयक का संभावित प्रभाव
आयकर विधेयक 2025 देश के करदाताओं के लिए एक सकारात्मक बदलाव ला सकता है। मध्यम वर्ग और व्यापारियों को कर राहत मिलने की संभावना है, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी। यह विधेयक कर अनुपालन को आसान बनाएगा और भारत को व्यापार और निवेश के लिए एक अधिक आकर्षक गंतव्य बनाने में मदद करेगा।
सरकार की यह पहल डिजिटल और पारदर्शी कर प्रणाली की ओर एक और कदम होगी, जिससे करदाताओं के लिए कर भुगतान की प्रक्रिया आसान होगी। साथ ही, कर चोरी पर सख्ती के कारण सरकारी राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है।
अगले कुछ दिनों में संसद में इस विधेयक को लेकर व्यापक चर्चा होगी और इसकी अंतिम रूपरेखा तय की जाएगी। व्यापारियों, उद्योगपतियों और आम जनता की भी इस विधेयक पर विशेष नजर रहेगी। यदि इसे संसद से मंजूरी मिलती है, तो यह 2025-26 वित्तीय वर्ष से लागू हो सकता है।